अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ एक दुर्लभ बीमारी है जो की मस्तिष्क के अंगो को प्राभावित करती है। यह बीमारी मुख्या रूप से छोटी उम्र के बच्चो में पायी जाती है। ऐसा ज़रूरी नहीं की यह बीमारी बस मस्तिष्क तक ही सीमित रहे, कई मामले ऐसे भी है जिनमे यह बीमारी शरीर के विभिन्न अंगो पर भी असर करती है।
अटैक्सिआ में हाथ पैर के चलन और संगठन बनाये रखने में बेहद ही कठिनाई होती है। यदि कोई व्यक्ति अटैक्सिआ से जूझ रहा हो तो उसे चलने फिरने व् अन्य रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई होने की अत्यधिक सम्भावना होती है। अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ का मरीज़ो को विरासत में मिलती या आसान भाषा में कहे तो यह बीमारी जेनेटिक होती है।
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ का एक मात्र कारण जेनेटिक्स है। मतलब की यह बीमारी मरीज़ को अपने माँ बाप से विरासत में मिलती है ।
यह एक जेनेटिक बीमारी है जो की इन्हेरिटेंस से आती है । यह बीमारी मनुष्य की एक विशेष प्रकार की जीन्स के गड़बड़ी से होती है जिसका नाम अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ म्यूटेट है।
इस बीमारी से प्रभावित अंगो में मस्तिष्क का वह हिस्सा आता है जिसका काम ही शरीर के अन्य अंगो का संगठन करना होता है जिसे हम सेरिबैलम भी कहते है। जिसकी वजह से मरीज़ को चलने फिरने व् संगठन बनाने में बोहोत मुश्किल होती है।
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ के लक्षण कुछ इस प्रकार है:
अटैक्सिआ तेलंगिएक्टेसिअ के प्रभावों को काफी हद्द तक काम किया जा सकता है। फिसिओथेरपी जैसे प्रक्रियाओं से शरीर में लचीला पैन बढ़ाया जा सकता है जिससे संगठन बनाने में थोड़ी आसानी अससाक्ति है। जीन थेरेपी भी एक कगार प्रक्रियाओं में से एक है जिससे प्रभाव काफी हद्द तक काम किये जा सकते है
डायरेक्टर & कंसल्टिंग न्यूरोलोजिस्ट
एशियन न्यूरो सेंटर