पार्किंसन बीमारी दिमाग से संबंधित रोग है । यह 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजर्गों में सबसे आम न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है । 2016 में किए गए एक सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 58 लाख केस इस बीमारी से संबंधित है जो हर वर्ष बढ़ते ही जा रहे हैं । इस बीमारी के होने से मरीज की शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाती है । इस रोग का अभी तक कोई इलाज नहीं है फिर भी इसे थेरेपी से कम किया जा सकता है । मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित एशियन न्यूरो सेंटर में इस बीमारी की थेरेपी की जाती है. तो चलिए जानते हैं – बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में ।
ये सभी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
मस्तिष्क हमारे शरीर का इंजन है । इसको कोई भी तकलीफ हुई पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है हमारे दिमाग में बहुत से न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं जो शरीर के अन्य हिस्सों में संदेश पहुंचाने का काम करते हैं ।
जब शरीर में डोपामाइन नामक रसायन कम मात्रा में निकलता है तो पार्किंसन बीमारी का जन्म होता है । कभी- कभी यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है।
डॉक्टर्स के अनुसार इस बीमारी को थेरेपी और कुछ दवाइयों से नियंत्रण में लाया जा सकता है । इसके लिए मरीज को डोपामिन एगोनिस्टिक दवाएं दी जाती है जो दिमाग में डोपामाइन बढ़ाती है । इसके साथ ही एंटीकोलिनर्जिक और एंटी वायरल दवाएं दी जाती हैं।
मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको पार्किंसन बीमारी के बारे में पता समझ में आ गया होगा । अधिक जानकारी के लिए आप इंदौर शहर में स्थित एशियन न्युरों सेंटर से सम्पर्क कर सकते हैं ।
परामर्श न्यूरोलॉजिस्ट।